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प्रजापति इतिहास

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Tag: प्रजापति इतिहास   प्रजापति एवं कुमावत – एक परिचय शब्‍द की उत्‍पति एवं अर्थ कुम्‍भ का निर्माण करने के कारण इसके निर्माता काे कुम्‍भकार कहा गया। प्राचीन इतिहास में कुलाल शब्‍द का प्रयोग किया गया है। अलग अलग क्षेत्र में अलग अलग भाषा होने के कारण इसका उच्‍चारण समय के साथ अलग होता गया। जैसे मराठी क्षेत्र में कुम्‍भारे पश्चिमी क्षेत्र में कुम्‍भार राजस्‍थान में कुमार तो पश्चिमी राजस्‍थान में कुम्‍भार कुम्‍बार पंजाब हरियाणा के सटे क्षेत्र में गुमार। अमृतसर के कुम्हारों को “कुलाल” या “कलाल” कहा जाता है , यह शब्द यजुर्वेद मे कुम्हार वर्ग के लिए प्रयुक्त हुये है। कुम्हारों के पारंपरिक मिट्टी से बर्तन बनाने की रचनात्मक कला को सम्मान देने हेतु उन्हे प्रजापति कहा गया। जिस प्रकार ब्रह्मा पंच तत्‍वों इस नश्‍वर सृष्टि की रचना करते है उसी प्रकार से कुम्‍भार भी मिट्टी के कणों से कई आकर्षक मूर्तियां खिलौने बर्तन आदि का सृजन करता है इस‍ीलिए इस जाति प्रजापति की उपमा दी गयी। ये भी माना जाता है कि मनुष्‍यों मे शिल्‍प और अभियांत्रिकी की शुरूआत इसी जाति से हुई है। विभिन्‍न तरह की मि...

दिल की आवाज़

एक #गज़ल पेश कर रहा हूं. ✍🏻 अच्छी लगे तो नवाज दीजिएगा :) अजीब शख़्स है कुछ मुझको बताता भी नहीं, है कितना प्यार किसी तरह जताता भी नहीं. ✍🏻 . अज़ाब-ए-हिज्र बताता है दूसरों को बहुत, मगर जो गुज़री है उस पे, वो सुनाता भी नहीं. ✍🏻 . है उसकी झील सी आंखों में ग़म समुंदर सा, मगर वो पलकों से इक अश्क़ गिराता भी नहीं. ✍🏻 . सुनी है हमने बिछड़ने की दास्तां उससे, मगर वो अपनी ग़ज़ल हमको सुनाता भी नहीं. ✍🏻 . हज़ार ज़ख़्म लगे हैं जो पता चलते हैं, किसी को अपना ख़ताकार बताता भी नहीं. ✍🏻 . चुराए फ़िरते हैं नज़रों को हमसे प्यार नहीं, छुपाना चाहें उन्हें ये हुनर आता भी नहीं. ✍🏻 . है इंतज़ार मुझे उसका एक बार कहे, है कितना प्यार उसे लब वो हिलाता भी नहीं. ✍🏻 . है दर्द सीने में उसके बहुत उदास है वो दिखाई देता है ख़ुश, ग़म को जताता भी नहीं ✍🏻 . वो तन्हा-तन्हा ही रहता है भीड़ में अक्सर, 🏻 कोई जो पूछे पता उसका बताता भी नहीं. ✍🏻 . वो जल के बैठा है दुनिया की रोशनी से बहुत,🏻 चराग़ इसलिए कोई वो जलाता भी नहीं. ✍🏻 . तड़पना अपने लिए उसका देखता हूं, लगाना तो चाहे गले मुझको पर...

प्रेम क्या है

                      प्रेम क्या है? जो कहा न जाय,जो किया न जाय, बस हो जाय। जिसे केवल अनुभव किया जाय वो प्रेम है। कोई कोशो दूर रहकर भी हर समय पास लगें। किसी की हर पीड़ा पर अपना अधिकार लगे। प्रेम ज्ञान का विषय नही,अनुभूति की बात है। प्रेम तन को नही मन को छूता है।                                         #आशू                                     

कविता

                    कविता बारिश की बरसती बूंदो ने जब दस्तक दी दरवाजे पर।  महसूस हुआ तुम आयी हो अंदाज़ तुम्हारे जैसा था।  हवा के हल्के झोंके की जब आहट  हुई खिड़की पर।  महसूस हुआ तुम गुजरी हो अहसास तुम्हारे जैसा था।  मैंने गिरती बूंदो को जब रोकना चाहा हांथो पर।  एक सर्द सा अहसास हुआ वो लम्हा तुम्हारे जैसा था।  तनहा चला मै फिर बारिश में एक झोंके ने साथ दिया।  मै समझा तुम साथ हो मेरे वो साथ तुम्हारे जैसा था।  फिर थम गयी वो बारिश भी रही न साथ आहट भी।  यू लगा कि तुम छोड़ गयी हो वो मिज़ाज़ तुम्हारे जैसा था।                                                                                    #आशू