दिल की आवाज़
एक #गज़ल पेश कर रहा हूं. ✍🏻
अच्छी लगे तो नवाज दीजिएगा :)
अजीब शख़्स है कुछ मुझको बताता भी नहीं,
है कितना प्यार किसी तरह जताता भी नहीं. ✍🏻
.
अज़ाब-ए-हिज्र बताता है दूसरों को बहुत,
मगर जो गुज़री है उस पे, वो सुनाता भी नहीं. ✍🏻
.
है उसकी झील सी आंखों में ग़म समुंदर सा,
मगर वो पलकों से इक अश्क़ गिराता भी नहीं. ✍🏻
.
सुनी है हमने बिछड़ने की दास्तां उससे,
मगर वो अपनी ग़ज़ल हमको सुनाता भी नहीं. ✍🏻
.
हज़ार ज़ख़्म लगे हैं जो पता चलते हैं,
किसी को अपना ख़ताकार बताता भी नहीं. ✍🏻
.
चुराए फ़िरते हैं नज़रों को हमसे प्यार नहीं,
छुपाना चाहें उन्हें ये हुनर आता भी नहीं. ✍🏻
.
है इंतज़ार मुझे उसका एक बार कहे,
है कितना प्यार उसे लब वो हिलाता भी नहीं. ✍🏻
.
है दर्द सीने में उसके बहुत उदास है वो
दिखाई देता है ख़ुश, ग़म को जताता भी नहीं ✍🏻
.
वो तन्हा-तन्हा ही रहता है भीड़ में अक्सर, 🏻
कोई जो पूछे पता उसका बताता भी नहीं. ✍🏻
.
वो जल के बैठा है दुनिया की रोशनी से बहुत,🏻
चराग़ इसलिए कोई वो जलाता भी नहीं. ✍🏻
.
तड़पना अपने लिए उसका देखता हूं,
लगाना तो चाहे गले मुझको पर लगाता भी नहीं. ✍🏻
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अच्छी लगे तो नवाज दीजिएगा :)
अजीब शख़्स है कुछ मुझको बताता भी नहीं,
है कितना प्यार किसी तरह जताता भी नहीं. ✍🏻
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अज़ाब-ए-हिज्र बताता है दूसरों को बहुत,
मगर जो गुज़री है उस पे, वो सुनाता भी नहीं. ✍🏻
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है उसकी झील सी आंखों में ग़म समुंदर सा,
मगर वो पलकों से इक अश्क़ गिराता भी नहीं. ✍🏻
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सुनी है हमने बिछड़ने की दास्तां उससे,
मगर वो अपनी ग़ज़ल हमको सुनाता भी नहीं. ✍🏻
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हज़ार ज़ख़्म लगे हैं जो पता चलते हैं,
किसी को अपना ख़ताकार बताता भी नहीं. ✍🏻
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चुराए फ़िरते हैं नज़रों को हमसे प्यार नहीं,
छुपाना चाहें उन्हें ये हुनर आता भी नहीं. ✍🏻
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है इंतज़ार मुझे उसका एक बार कहे,
है कितना प्यार उसे लब वो हिलाता भी नहीं. ✍🏻
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है दर्द सीने में उसके बहुत उदास है वो
दिखाई देता है ख़ुश, ग़म को जताता भी नहीं ✍🏻
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वो तन्हा-तन्हा ही रहता है भीड़ में अक्सर, 🏻
कोई जो पूछे पता उसका बताता भी नहीं. ✍🏻
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वो जल के बैठा है दुनिया की रोशनी से बहुत,🏻
चराग़ इसलिए कोई वो जलाता भी नहीं. ✍🏻
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तड़पना अपने लिए उसका देखता हूं,
लगाना तो चाहे गले मुझको पर लगाता भी नहीं. ✍🏻
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